Saturday 18 April 2020

विश्व धरोहर दिवस 2020 : 18 अप्रैल

विश्व धरोहर दिवस 2020 : 18 अप्रैल
विश्व धरोहर दिवस अथवा विश्व विरासत दिवस, प्रतिवर्ष 18 अप्रैल को मनाया जाता है, इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य  यह है कि पूरे विश्व में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक एव प्रकार्तिक स्थलों के संरक्षण के प्रति जागरूकता लाई  जा सके और उसका महत्व लोग समझ सकें।
विश्व धरोहर स्थल को यूनेस्को ने तीन भागों मैं बाटा है।
1 सांस्कृतिक धरोहर
2 प्राकृतिक धरोहर
3 मिश्रीत धरोहर
पूरे विश्व मैं धरोहर घोषित करने का कार्य संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को द्वारा किया जाता है
पूरे विश्व मैं अब तक 1092 विश्व धरोहर स्थल घोषित किये जा चुके है।
अभी तक भारत मे कुल 37 विश्व  धरोहर स्थल अभी तक घोषित हुए
विश्व धरोहर दिवस- 2020 की थीम है- ‘साझा संस्कृति, साझा विरासत' और' साझा जिम्मेदारी’
हम सबकी साझा जिम्मेदारी है कि हम इन विरासतों का सरक्षण करें और इसके लिए लोगो को जागरूक भी करें।

Saturday 11 April 2020

जानिए महात्मा ज्योतिबा फुले के बारे मै।

महात्मा ज्योतिबा फुले
जन्म- 11 अप्रैल 1827 खानबाड़ी, पुणे, ब्रिटिश भारत
मृत्यु- 28 नवम्बर 1890 पुणे ब्रिटिश भारत

एक महान समाज सुधारक, भारत की सामाजिक क्रांति के पथ प्रदर्शक, महान विचारक, महान दार्शनिक, लेखक, तथा क्रन्तिकारी महात्मा ज्योतिबा गोविंदराव फुले का जन्म ब्रिटिश भारत में पुणे के खानबाड़ी नामक स्थान पर 11 अप्रैल 1827 में हुआ। इनका जन्म एक माली जाति में हुआ जो सामाजिक व्यवस्था के अनुसार पिछड़ी जाति(शुद्र) मानी जाती थी। इनका परिवार कई पीढ़ियों से फूलों के गज़रे बनाने का काम करता था इसलिए उन्हें फूले कहा जाता था। बचपन में ही इनकी माता का देहांत हो गया था । इसलिए इनका पालन पोषण एक बाई ने किया। बाद में इनके पिता ने दूसरा विवाह कर लिया था। ज्योतिबा फुले ने कुछ समय तक मराठी में अध्ययन किया परंतु सामाजिक भेदभाव के कारण इनको पढाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। बाद में 21 वर्ष की आयु में अंग्रेजी से सातवीं कक्षा पास की।
एक प्रसंग है जिसने ज्योतिबा फुले के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला । अपने एक परिचित की शादी में जातिगत भेदभाव के कारण वे बुरी तरह अपमानित हुए और उन्हें धक्के देकर मंडप से बाहर कर दिया गया। घर आकर इन्होंने अपने पिता जी से इसका कारण पूछा। पिता जी ने बताया कि सदियों से यही सामाजिक व्यवस्था है कि हमे उनकी बराबरी नहीं करनी चाहिए। वे ऊँची जाति के लोग है और हम नीची जाति के लोग है। अतः हम उनकी बराबरी नहीं कर सकते। ज्योतिबा फुले ने अपने पिताजी से बहस की और कहा "मैं उनसे ज्यादा साफ़ सुथरा था, मेरे कपड़े अच्छे और साफ़ थे, मैं पढ़ा लिखा और होशियार हूँ फिर मैं उनसे नीच कैसे हो गया?" पिताजी गुस्से में आकर बोले "मुझे यह नहीं पता परंतु सदियों से ऐसा होता आ रहा है। हमारे सभी धर्म ग्रंथो और शास्त्रों में यही लिखा है। हमे भी यही मानना पड़ेगा क्योंकि यही परम्परा है और यही सत्य है।" ज्योतिबा फुले सोचने लगे कि धर्म तो जीवन का आधार है फिर भी धर्म को बताने वाले ग्रंथों में ऐसा क्यों लिखा है जिसके कारण समाज में इतनी गैर बराबरी और छुआछूत है। यह परम सत्य कैसे जो सकता है। यह असत्य है। यदि यह असत्य है तो मुझे सत्य की खोज करनी पड़ेगी। इसी विचार के साथ कार्य करते हुए उन्होंने 1873 में सत्य शोधक समाज की स्थापना की। सत्य शोधक का अर्थ है सत्य को जानने वाला।
इनके जीवन का मूल उद्देश्य महिलाओं को शिक्षा का अधिकार प्रदान करना, बाल विवाह का विरोध, विधवा विवाह का समर्थन, कुप्रथाओं और अन्धविश्वास का अंत करना था। इनका विवाह 1840 में माता सावित्री बाई से हुआ जो बाद में स्वयं एक महान समाज सुधारक बनी। शुद्रों और महिला शिक्षा के लिए दोनों ने मिलकर काम किया।
19 वीं सदी में महिलाओं को शिक्षा नहीं दी जाती थी। महिलाओं को इस इस भेदभाव से मुक्ति दिलाने के लिए ज्योतिबा फुले ने स्वयं अपनी पत्नी को पढ़ाने का निश्चय किया। अपनी पत्नी सावित्री बाई फुले को पढ़ाकर  उन्हें देश की पहली महिला शिक्षक बनाया। महिलाओं की शिक्षा व उत्थान के लिए ज्योतिबा फुले ने अपनी पत्नी के साथ मिलकर लड़कियों के लिए देश का पहला स्कूल खोला। जब समाज वालों को इस बात की जानकारी मिली तो उनका घोर विरोध किया गया। समाज में महिला की शिक्षा को अधर्म और समाज का अपमान बताया। समाज के लोगों ने इनके पिता गोविंदराव फुले पर  इसे रोकने का दबाव बनाया। पिताजी के कहने पर भी ज्योतिराव जब नहीं माने तो उन्हें घर छोड़ने की धमकी दी गई। ज्योतिबा फुले ने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया और पत्नी के साथ घर छोड़कर चले गए।
जब ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी पाठशाला जाते थे तो लोग उन पर पत्थर, गोबर और कीचड फेंकते थे परंतु वे जरा भी विचलित नहीं हुए और  हिम्मत के साथ समाज सुधार और शिक्षा के काम में लगे रहे।
अछूतों के साथ जातिगत भेदभाव के कारण उनको सार्वजानिक तालाबों से पानी लेने पर पाबंदी थी। सार्वजानिक रास्तों का प्रयोग करने, तालाबों या कुओं के पास चले जाने पर उन्हें कठोर दंड दिया जाता था। ज्योतिबा फुले इस अमानवीय व्यवहार से बहुत दुखी होते थे। उन्होंने अपना निजी कुआं अछूतों  के लिए खोल दिया और सभी को वहां से पानी भरने का आव्हान किया।
उनका मानना था
विद्या बिन मति गई
मति बिन गति गई
गति बिन नीति गई
नीति बिन धन गया
धन बिना शुद्र पतित हुए

एक विद्या न होने के कारण इतना घोर अनर्थ हुआ। शिक्षा के प्रसार प्रचार के लिए ज्योतिबा फुले पैदल गाँव - गाँव जाकर लोगों को शिक्षा के लिए प्रेरित करते थे।
सामाजिक भेदभाव, छुआछूत, जाति प्रथा, अशिक्षा,अज्ञान, कुप्रथा, अन्धविश्वास के विरुद्ध संघर्ष करते हुए ज्योतिबा फुले ने समाज को एक नई दिशा प्रदान की। उनके कार्यों से प्रभावित होकर सन 1888 में बम्बई की एक विशाल जनसभा में उन्हें महात्मा की उपाधि दी गई। उन्होंने किसानों के लिए बहुत कार्य किये। इनके कार्यों से प्रभावित होकर अंग्रेजों में कृषि एक्ट बनाया। अंग्रेज़ उन्हें महिला शिक्षा का पुरोधा मानते थे।
महात्मा ज्योतिबा फुले ने अपने ज्ञान और जीवन अनुभव से साहित्य के क्षेत्र में भी योगदान दिया। गुलामगिरी, तृतीय रत्न छत्रपति शिवाजी महाराज, राजा भोंसला का पखड़ा,किसान का कोड़ा, अछूतों की कैफियत आदि इनकी प्रमुख साहित्यिक रचनाएं है।
28 नवम्बर 1890 को पुणे में उनकी मृत्यु हो गई। बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर इनके जीवन, विचारों और कार्यों से बहुत प्रभावित हुए। इनके द्वारा शुरू किये गए महान कार्यों को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने संविधान में कानूनन रूप प्रदान किया और पिछड़ों, अछूतों और महिलाओं की तरक्की का मार्ग प्रशस्त किया।

आज अगर भारत का पिछड़ा वर्ग और महिला अगर सम्मानजनक जीवन जी रही है और राष्ट्र निर्माण में सहयोग कर पा रही है और जीवन का आनंद ले पा रहे है तो इसका बहुत बड़ा श्रेय महात्मा ज्योतिबा फुले को जाता है।

आज उनकी जयंती 11 अप्रैल को हम उन्हें शत शत नमन करते हैं और विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। उनके द्वारा किये गए समाज सुधार के कार्यों के लिए उन्हें सदैव याद किया जायेगा। उन जैसा समाज सुधारक पाकर भारत भूमि धन्य हो गई।
💐जय ज्योतिबा फुले💐

Friday 3 April 2020

जानिए कोरोना वायरस महामारी COVID-19 के बारे सम्पूर्ण जानकारी।

जानिए #कोरोना_वायरस (महामारी) के बारे मे सम्पूर्ण जानकरी।।

कोरोना की उत्पत्ति :- कोरोना वायरस का प्रथम रोगी दिसंबर 2019 मैं चीन के वुहान शहर मे मिला। चीन मैं अधिकांश लोग मासाहारी है और कई प्रकार के जानवरों के मांस का प्रयोग खाने के लिए करते है ऐसा अनुमान है कि यह वायरस भी जानवरों से आया है। ज्यादातर लोग जो चीन   में स्थित वुहान शहर के सीफ़ूड (मछ्ली बाजार) होलसेल मार्केट में खरीदारी के लिए आते हैं ऒर  अक्सर काम करने वाले लोग जो जीवित या मारे  गए जानवरों को बेचते थे इस वायरस से संक्रमित पाए गये
WHO ने इस बीमारी को जानवरों से मनुष्य में फैलने की संभावना जताई है लेकिन इसके भी अभी कोई पुख्ता सबूत नही है।
सामान्यतया यह वायरस चमगादड़ मैं पाया जाता है ऐसा अनुमान है कि यह वायरस पैंगोलिन या साँप के माध्यम से मनुष्य से मनुष्य मैं आया।
कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका और चीन ने एक दूसरे पर इस वायरस को फैलाने के आरोप लगाए है लेकिन इसके भी कोई ठोस प्रमाण नही है
कोरोना की उत्पत्ति पर अभी अलग अलग राय है अतः ज्यादा कुछ कहना उचित नही होगा

कोरेना क्या है : यह एक वायरस है कोरोना वायरस की पहले से कई प्रजाति है लेकिन यह वायरस पहली बार ज्ञात हुआ है इसलिए इसे नॉवल कोरोना वायरस भी कहा है
इस तरह का वायरस 2003 मैं भी फैला था जिसे सॉर्स  nCOV -1 नाम दिया गया इसमे लगभग 8000 लोग संक्रमित हुये तथा लगभग 774 लोगो की मृत्यू हुई।
अभी फैले कोरोना वायरस को सॉर्स nCOV-2(SARS नोवल कोरोना वायरस-2) नाम दिया गया है। WHO ने कोरोना वायरस से होने वाली बीमारी को Covid-19 (कोरोना वायरस रोग- 2019) दिया है।

कोरोना पूरे विश्व मे कैसे फैला:-वैश्वीकरण के दौर मैं सभी देश  एक दूसरे से जुड़े हुए है जिसके कारण एक देश से दूसरे देश मे लोगो की आवाजाही के कारण यह वायरस अभी तक पूरे विश्व मे लगभग सभी देशों  फैल चुका है। सबसे ज्यादा संक्रमण चीन,इटली,ईरान,अमेरिका ,जर्मनी,स्पेन,दक्षिणी कोरिया, ब्रिटेन आदि देशों मैं पाये गए है।
Who ने  कोरोना को महामारी घोषित कर दिया है इससे पहले 2009 मैं स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित किया गया था
दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमण के कुल मामले 10 लाख से अधिक , वहीं मरने वालों की संख्या 50000 से अधिक हो गई है ।
भारत मे कोरोना : - भारत मे कोरोना विदेशी पर्यटक एव स्थानीय लोग जो जॉब ,पढ़ाई करने एव घूमने के लिए विदेश गये थे के द्वारा फैला है।
भारत में कोरोना के अब तक लगभग  2000+ मामले आये है  पूरे देश  मैं 21 दिन का लॉक डाउन घोषित कर दिया है। भारत मैं
कोरोना संकमण की संख्या निरन्तर बढ़ रही हैं।

कोरोना के लक्षण :-कोरोना वायरस (COVID-19) की पहचान, बहती नाक, गले में खराश, खांसी, और बुखार जैसे लक्षणों से होती है. कुछ लोगों के लिए यह बीमारी ज़्यादा गंभीर हो सकती है उन्हें इससे न्यूमोनिया या सांस लेने में दिक्कत हो सकती है.
कुछ मामलों में, यह रोग घातक भी हो सकता है. बुज़ुर्ग और ऐसे लोग जिन्हें दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं (जैसे कि अस्थमा, डायबिटीज़ या दिल की बीमारी) हैं उनके लिए यह वायरस ज़्यादा खतरनाक साबित हो सकता है.
संक्रमित लोगों में ये लक्षण हो सकते हैं:
बहती नाक गले में खराश ,खांसी ,बुखार
सांस लेने में दिक्कत (गंभीर मामलों में)

कोरोना फैलने के कारण :- कोरोना  संक्रमित व्यक्ति के संपर्क मैं आने से फैलता है यह वायरस खांसी और छींक से गिरने वाली बूंदों मैं होता है जिसके संपर्क आने पर यह हमारे शरीर मे प्रवेश करता है।

कोरोना से कैसे बचें :- आप संक्रमण को होने से रोक सकते हैं, अगर आप:
अल्कोहल वाले सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करते हैं या साबुन से  अपने हाथ साफ़ करते हैं
खांसने और छींकने के दौरान टिश्यू पेपर से या स्कार्फ अपनी नाक और मुंह को ढक रहे हैं
ठंड या फ्लू जैसे लक्षणों वाले किसी भी व्यक्ति के साथ निकट संपर्क से बचते हैं
जरूरी कार्य होने पर ही घर से निकले,भीड़भाड़ से दूर रहे,अस्पताल जाने से बचें अगर जरूरी नही हो तो।
हैल्थी खाना खाएं,व्यायाम करें, अपने इम्यून सिस्टम को बढ़ाये।
कोरोना का इलाज :-कोरोना वायरस (COVID-19) को रोकने या इसके उपचार के लिए कोई भी खास दवा नहीं है.
एनएचएस की सलाह के मुताबिक़, अपने हाथ अच्छी तरह धोएं. खांसते या छींकते वक़्त अपना मुंह ढक लें और हाथ साफ़ न हों तो आंखों, नाक और मुंह को छूने बचें.

कोरोना से डरने की जरूरत क्यों :- कोरोना संक्रामक रोग है तथा यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति मैं तेजी से फैल रहा है यदि संकमण बढता है तो कई चुनोतियों का सामना करना पढ़ सकता है क्योंकि हमारे यहां सामान्यतः हॉस्पिटलों मे अन्य रोगों के मरीजों की पहले से भिड़ रहती है और  ऐसे मैं अगर कोरोना के मरीज की संख्या अचानक बढ़ती है तो आपातकालीन इंतजाम  की जरूरत होगी, क्योंकि की हमारे यहां icu एव वेंटिलेटर की कमी है
साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों मे जागरुकता की कमी है एव हमारे यहाँ जनसंख्या घनत्व भी अधिक है।
कोरोना के टीके की खोज जारी है लेकिन यह कब तक तैयार होगा यह कहना मुश्किल है।

कोरोना से डरने की जरूरत क्यों नही :- कोरोना वायरस से अब जितने लोग संक्रमित हुए है उनमें से सिर्फ 2-3% प्रतिशत लोगो की मृत्यु हुई है तथा अधिकांश रोगी संक्रमित होने के बाद ठीक हो रहे है। चीन ने कोरोना पर नियंत्रण कर लिया है तथा अगर हम सावधानी रखते है संक्रमण को रोका जा सकता हैं

हम सब क्या करे :- अफवाहों से दूर रहे, न फैलाये न फैलने दे,अपने आसपास की खबरों से अपडेट रहे है प्रमाणित न्यूज़ चैनल एव अखबार की खबरों को सही माने, व्हाट्सएप एव सोशल मीडिया पर आने वाली भ्रामक जानकारी से सावधान रहें।कोरोना वायरस का मजाक बनाने के बजाए लोगो को जागरूक करें तथा संदिग्ध लोगों की सूचना नजदीकी राजकीय अस्पताल में देवे,प्रशासन का सहयोग करें।

मेरी राय :- वर्तमान समय मैं कोरोना वायरस से बचाव ही उपचार है और अगर कोरोना के  लक्षण दिखे तो डरने की जरूरत नही है अपितु बिना देर किए अपने नजदीकी राजकीय अस्पताल मे जाकर जांच करवाएं।अगर कोरोना हो भी जाए  तो भी आप मानसिक रूप से मजबूत रहे क्योंकि इससे 95% से अधिक रोगी फिर से ठीक हो रहे है।
Be Positive  :- भारत सरकार एव सभी राज्य सरकार कोरोना वायरस से लड़ने के लिए पूरी तरह तैयार है। उम्मीद करते है बहुत जल्दी कोरोना पर काबू पा लिया जाएगा। आइये हम  सभी एकजुट होकर इस महामारी से लड़े तथा सरकार एव प्रशासन की मदद करें उनके निर्देशों का पालन करें।
सावधान रहें । जागरूक रहे । सहयोग करे।

Tuesday 31 March 2020

कोरोना वायरस का प्रथम रोगी कौन ?

कोरोना वायरस के Zero Patient की खोज
Zero patient का मतलब है किसी भी महामारी का प्रथम दस्तावेज रोगी ।
जीरो पेशेंट की पहचान इसलिए कि जाती है ताकि उस महामारी के बारे ज्यादा जानकारी मिल सके तथा भविष्य मे सावधानिया भी रखी जा सके।
कोरोना वायरस से फैली महामारी covid-19 के प्रथम रोगी की पहचान कर ली गई है ओर यह एक महिला है जिसका नाम है wei guixain (वेई जुआन)
यह 57 वर्षीय महिला है जिसमे 10 दिसंबर को इस बीमारी के लक्षण पहली बार मिले और उससे अन्य लोगो को यह बीमारी फैली,हालांकि नवंबर मैं इस बीमारी के फैलने की बात भी मीडिया मैं आई है लेकिन ऑफिसियल 10 दिसम्बर को प्रथम रोगी ज्ञात हुआ! वेई गुइकेन वुहान शहर मे सी फ़ूड मार्केट मैं मछली बेचती थी इस फ़ूड मार्केट मैं जिंदा जानवरों और उनके मांस को बडे स्तर पर बेचा जाता ह वैसेै यह महिला वर्तमान मे स्वस्थ है।

कोरोना आया कहा से :- सामान्यतया यह वायरस चमगादड़ मैं पाया जाता है लेकिन चमगादड़ को यह कोई नुकसान नही पहुचाता है यह सीधा मनुष्य मैं नही आया है जबकि ऐसा अनुमान है की यह किसी माध्यम पैंगोलिन(चीनी जानवर) या साँप के मध्यम से मनुष्य मैं आया है हालाकि चीन ने इससे मानने से इनकार किया है
चीन का कहना है की यह वायरस अमेरिकी सैनिक के द्वारा हमारे देश मे फेला है जबको अमेरिका का कहना है कोरोना चीन  से ही पूरे विश्व मे फैला है और यह चीन का बनाया हुआ जैविक हथियार है लेकिन इसका कोई प्रमाण नही है अमेरिका ने इसे चीनी या वुहान वायरस भी कहा है ,पूरा विश्व चीन को हो इस महामारी के लिये जिम्मेदार मान रहा है
कई वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वायरस  प्राकृतिक है और इसमें उतपरिवर्तन हुआ है।

कोरोना से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य :-
1. WHO ने कोरोना को महामारी घोषित करने में देरी की तब तक यह कई देशों मैं फेल चुका था।
2 चीन आरंभ मैं इस बीमारी को छुपाया लेकिन ज्यादा फैलने पर इसके बारे मे जानकारी दी।
3 कोरोना पूरे विश्व मे तेजी से फेल रहा था लेकिन भारत सरकार द्वारा विदेशी यात्रियों और पर्यटकों पर रोक लगाने में देरी की
4  भारत मे लॉक डाउन करने से पूर्व गरीब मजदूरों को उनको घर जाने का समय नही दिया।जबकि जितनी सख्ती इन मजदूरों पर दिखाई गई उतनी विदेशी पर्यटकों व अप्रवासी भारतीयों पर होती तो     ये हालात पैदा नही होते।
फिर भी भारत सरकार के प्रयास  सराहनीय है  और पूरे देश इस महामारी से लड़ने के लिये एकजुट है और जल्द ही इस पर काबू कर लिया जायेगा।

कोरोना का आने वाले समय पर प्रभाव :-
कोरोना कब खत्म होगा इसका बारे मैं कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन कोरोना खत्म होने के बाद पूरे विश्व मे बहुत कुछ बदल जायेगा। लोगो की सोच,अर्थव्यवस्था,जीवनशैली!  साथ ही मनुष्य का अपने आप को सर्वश्रेष्ठ मनाने का भ्रम भी।
सभी देश और वहाँ के लोग आत्मनिर्भरता की और बढ़ेंगे, पप्रकृति के महत्व को भी समझेंगे और हम सभी को प्रकृति का सम्मान एव उसकी रक्षा करनी होगी।
Save nature & love nature

Friday 28 December 2018

गोविन्द गुरु महाराज मानगढ़ धाम

जय गोविन्द गूरू महाराज
जय आदिवासी
🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾🌾
🌷 *राज, पाठ और ठाठ*🌷

🌾160 वीं गूरू गोविन्द जयन्ती के अवसर पर हमारे नव नियुक्त विधायक महोदय आदरणीय RP दादा का उद्बोधन में निम्न बिन्दुओं पर प्रकाश डाला!

🏹गूरू गोविन्द महाराज, सती सूरमाल महाराज और मावजी महाराज ने भीलो में जनजाग्रति के लिए आन्दोलन चलाया!
🏹इससे प्रेरित होकर बरसो से दबा कूछला भील समूदाय ने गूरू उपदेशो पर चलने प्रयास किया लेकिन शासक जातियों ने राज और ठाठ से भीलों को कोसो दूर रखा लेकिन
🏹गूरू उपदेशों से भक्ति मार्ग पर चलकर पाठ-पूजा करना शुरू किया जिससे आदिवासी देश दूनिया में प्रकृति पूजक के रूप में पहचाना गया!
जैसे - जमीन- आसमान, पाणी- पोवन, सूरज-चांद व तारे, अन्न- अग्नि, बारे मेघळा नी तीरे विजॉळ की पूजा करने वाला सिद्ध हूआ!
🏹 इस जन जाग्रति आन्दोलन को तत्कालीन शासक वर्ग ने 1913 की मानगढ हत्याकांड की घटना को अंजाम देकर आन्दोलन को दबाने का कुत्सित प्रयास किया!
🏹विधायक महोदय ने इस आन्दोलन में मारे गये 1500 भीलो को शहीदों की उपमा देकर उनके परिवार जनो की पहचान कर प्रत्येक परिवार को सरकारी नौकरी देने की मांग ऊठाई !
🏹तथा कांग्रेस को इस घटना के लिए माफी मांगनी को कहा क्योंकि कांग्रेस की उत्पत्ति 1885 में हो चूकी थी और उसने कभी इस घटना का विरोध नही किया!
🏹एकलव्य का अंगूठा काटा गया फिर भी आज तक दोनों पार्टीयो ने कभी ऐसी घटनाओं का विरोध तक नहीं जताया!
🏹जो गूरू गोविन्द के मार्गदर्शन पर जन जागरण करते हैं उनको आज नक्सलवाद का आरोप लगाकर आवाज़ दबाने का प्रयास करते हैं!
🏹 गूरू गोविन्द ने उस समय स्थानीय शासन व्यवस्था की मांग उठाई वही आज 5 वीं अनुसूची कहलाती है!
🏹गूरू गोविन्द की भविष्यवाणी पर संकेत कर मूस्कराने लगे  !
🏹उन्होने छाणी -.मंगरी पर पहली धूणी गोडकर ध्वज लहराते हूए कहाँ कि आज से ऊँच नी नीच और नीच की ऊँच व्यवस्था कायम होगी!
🏹माडी मेल नी खाडा वाडा पासा मळहे!
🏹भणी गणी नी होशियार रीजू राज, पाठ नी ठाठ एक ना एक दाडो पासो मळहे!
🏹गूरू गोविन्द के अधूरे सपने राज, पाठ और ठाठ को पूरा करने लिए एक होने का आह्वान किया!

🏹आदिवासी की महानतम जीवन शैली पर फोकस डाला!

    जय आदिवासी
    आपकी जय
*"महत्वपूर्ण सूचना"*
 *"Hate Speech Act"*

 यदि कोई व्यक्ति SC ST ( अनुसूचित जाति ) के बारे में या जातिसूचक शब्दो से  सोशल  मीडिया जैसे  ........   Facebook WhatsApp  Twitter इत्यादि   पर अपशब्द कहता है तो उस पोस्ट का  प्रिंट  लेकर नजदीकी  पुलिस  स्टेशन में  जाकर   *"IT Act Section 66,153(A),295IPC "*  के तहत उस पर F.I.R दर्ज की जा सकती है   उस व्यक्ति पर   " Non-Bail able "    (गैर जमानती) वारंट जारी हो जाएगा.  *सभी  SC ST candidates साथियों को फारवर्ड करे |

Thursday 27 December 2018

आदिवासी हिन्दू नही है।

*【आदिवासी हिन्‍दु नही है】*
*★आदिवासी कौन है ★ आदिवासी कोनसा धर्म मानता है। आदिवासी की परम्‍परायें क्‍या है। आदिवासियों की कोई भी परम्‍परा अन्‍य धर्मो से मेल क्‍यो नही खाती है। एेसे अनेकों प्रश्‍न है जो यह सोचने पर मजबूर करते है कि आदिवासी वास्‍तव में कौन है।*

🔹आईये आज देखते है कि आदिवासी कौन है।
🌱(1) जनगणना के आकडों के अनुसार आदिवासी क्‍या है ?*

*भारत देश की जनगणना केन्‍द्र सरकार द्वारा प्रत्‍येक 10 वर्ष के अन्‍तराल पर सम्‍पन्‍न कराई जाती है। जनगणना में सभी प्रकार के आकड्रे मौजुद रहते है। भारत की जनगणना की शुरूआत अंग्रेजों ने 1871-72 में की थी, तब से लेकर आज तक प्रत्‍येक 10 वर्ष में यह जनगणना सम्‍पन्‍न कराई जाती है।

आईये देखते है, जनगणना के आकडों के हिसाब से आदिवासी को क्‍या कहा गया है।*
*जनगणना वर्ष आदिवासी के लिये प्रयुक्‍त* *शब्‍द पेज नम्‍बर dOWNLOAD ORIGIONAL FILE*

🔹1871 Aborgine 17, 18,19,22,23 CENCUS 1871*

🔹1881 Aborigional 51, 54,96,128 CENCUS 1881*

🔹1891 Aborigional 25,27,35,49,57 CENCUS 1891*

🔹1901 Animist 57, 68, 76,80,103,268 CENCUS 1901*

🔹1911 Animist 24, 44, 52, 56,57 CENCUS 1911*

🔹1921 Animist 14, 26, 38, 40, 53 CENCUS 1921*
🔹1931 Tribal Religion 4, 202, 222, 223,225 CENCUS 1931*

🔹1941 Tribes 3, 31,108, 117,* *119,137 CENCUS 1941*
🔹1951 Shedule Tribe 142, 144, 139, 196 CENCUS 1951*

🌾1871 से लेकर 1941 तक की जनगणना में आदिवासी को अन्‍य धर्मो से अलग धर्म में गिना गया है, जिसे Aborgines, Aborigional, Animist, Triabal Religion, Tribes आदि कहा गया है।*

🌾आदिवासी की गणना अलग ग्रुप में की गई है, लेकीन 1951 की जनगणना से* *आदिवासी को Shedule Tribe बना कर अलग गिनती करना बन्‍द कर दिया गया है।*

🌷क्‍यों आदिवासी का अलग धर्म खत्‍म कर दिया गया ?*
*1951 की जनगणना के पेज नम्‍बर 136 पर लिखा है कि -*
*In 1901 Animism was treated as separate religion, in*

1931 .Animism was replaced by the Tribal religion and in 1941 the concept of religion gave place to that of community*

इसका मतलब साफ है कि 1951 में आकर सरकार ने आदिवासी को जबरदस्‍ती अपने राजनैतिक फायदे के लिये अन्‍य धमों में शामिल कर दिया, जबकी इससे पहले आदिवासी की गणना अलग धर्म के रूप में की गई थी।*

🔹1951 की जनगणना के पेज नम्‍बर 196 पर लिखा है कि - E.A. Maxwell कनाडा से बांसवाडा में आदिवासियों के रिती-रिवाज और परम्‍पराओं पर अध्‍ययन करने के लिये आई थी। उसने आदिवासियों से उनकी परम्‍पराओं पर निम्‍न बातें जानी।*
*(a) They do not, as a regular rule worship before Hindu idols,*
*वे हिन्‍दुओं की मुर्तियों के आगे प्रार्थना नही करते थे।*

(b) They do not enter Hindu temples,*
*वे हिन्‍दुओं के मन्दिरों में नही जाते थे।*

(c) Thoy do not have images of idols in their houses,*
*उनके घरों में हिन्‍दु देवी-देवताओं की मुर्तियां / फोटो नही होते थे।*

(d) They do not employ Brahmin: priest for any of their cer~monies, such as birth, marriage and death, but employ their own Bhopas and JogiS, who are Bh1Is,*
*वे अपने विवाह, जन्‍म, मरण आदि कार्यक्रमों में हिन्‍दु पण्डित को नही बुलाते थे। वे सिर्फ भोपा और जोगी को ही कार्यक्रमों में बुलाते थे, जो आदिवासी ही होते थे।*

(e) They believe that on death they become Bhuts (spirits ) but they do not believe in re-birth in human or animal form,*
*वे मानते है कि आदिवासी मरने के बाद भूत, पूर्वज बन जाते है, लेकिन उनका पूर्नजन्‍म में विश्‍वास नही था।*

(f) They live in great fear of evil spirits, and most of their religious practices are endeavours to propitiate these spirits, which always seem bent on harming them.*
*वे बुरी आत्‍माओं के डर के साये में रहते थें और उनके सभी कार्य कलाप इन बुरी आत्‍माओं से छुटकारा पाने के संबंध मे ही रहते है।*

Miss Maxwell, in fact, leaves no room for doubt that the term'' Animist" would be thecorrect one to describe the religion of the Bhils whom she knows so well.*
इससे साफ पता चलता है कि जनगणना के आकडों के अनुसार आदिवासी हिन्‍दु नही है ।

(2) आदिवासी की परम्‍पराओं के अनुसार आदिवासी हिन्‍दु नही है।
*आदिवासी समाज के जन्‍म से लेकर मरण तक के रि‍ती-रिवाज एवं परम्‍परायें गैर-आदिवासी समाज से अलग होते है।* *आदिवासी अपने सभी कार्य जमने फैरे (Anti-Clock wise, Right Hand Side) करते है।*
*आदिवासीयों के विवाह कार्यक्रम में फेरे जमने फेरे लिये जाते है।*

🌱विवाह कार्यक्रम में ब्राहमण पूजारी को नही बुलाया जाता है, यह कार्य भुआ, मामा ढोली, जोगी आदि करते
🎯जय आदिवासी 🎯

🍁जय भीलराज🍁👏🏹